किसान आन्दोलन तो हम सब को याद होगा जब किसान आन्दोलन चल रहा था तो वहाँ के क्या हालात थे फिर भी उन किसान भाइयों का हौंसला कितना बुलंद था | इसी हौंसले पर एक शायरी मेरे ज़ेहन में आई जिसकी चंद लाइने मैने लिखी हैं | जो कुछ इस तरह हैं -------कि
अभी दरिया है शैलावे समुन्दर तो होने दो
फलक के साये में सो रहे है वो उन्हें सोने दो
ये खाके वतन की औलादें हैं इनकी आवाज नहीं दबती
तख्ता पलट देंगे ये जरा इंकलाब तो होने दो
क्या समझते हो तुम की ये कमजोर हैं
अभी तो आगाज़ है ईशान ,जरा अंजाम तो होने दो
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SHAYARI